चार कारण
अरस्तु के चार कारण, चार कार्य-कारण या चार व्याख्याएँ (Four causes), अरस्तुवादी विचार में, प्रकृति में परिवर्तन या गति (चाल या स्थानांतरण) के विश्लेषण में "क्यों?" प्रश्न के उत्तर के चार मूलभूत प्रकार हैं : उपादान , आकारिक , निमित्त और अंतिम या लक्ष्य या प्रयोजन मूलक। अरस्तू ने लिखा है कि "हमें किसी चीज़ का तब तक ज्ञान नहीं होता जब तक हम उसके 'क्यों', यानी उसके कारण को नहीं समझ लेते।" [1] [2] जबकि ऐसे मामले हैं जिनमें "कारण" को वर्गीकृत करना मुश्किल है, या जिसमें "कारण" एक दूसरे में विलीन हो सकते हैं, अरस्तू का मानना था कि उनके चार "कारण" सामान्य प्रयोज्यता की एक विश्लेषणात्मक योजना प्रदान करते हैं। [3]
अरस्तू का शब्द ऐतिया ( यूनानी: αἰτία ) दार्शनिक विद्वतापूर्ण परंपरा में, 'कारण' (cause) के रूप में अनुवादित किया गया है। 'कारण (cause)' शब्द का यह अनोखा, विशिष्ट, तकनीकी उपयोग रोजमर्रा की अंग्रेजी व हिंदी भाषा का नहीं है। [4] बल्कि, अरस्तू के का अनुवाद जो वर्तमान सामान्य भाषा के सबसे निकट है वह है (explanation) "स्पष्टीकरण" या "व्याख्या" [2] [4]
फिज़िक्स II.3 और मेटाफिजिक्स खण्ड.2 में, अरस्तू का मानना है कि "क्यों" प्रश्नों के चार प्रकार के उत्तर हैं: [2] [5]
- उपादान या भैतिक सामग्री (Material या Matter)
- किसी परिवर्तन या चाल का भौतिक कारण। यह परिवर्तन या गति का वह पहलू है जो उस सामग्री द्वारा निर्धारित होता है जो चलती या बदलती चीज़ों की रचना करती है। एक मेज के लिए, यह लकड़ी हो सकती है; एक मूर्ति के लिए, यह कांस्य या संगमरमर हो सकता है।
- अकार या स्वरूप (Form)
- परिवर्तन या चाल या गति का आकारिक कारण। यह किसी बदलते या चलते हुए वस्तु का विन्यास, आकार या बाह्याकृति के कारण होने वाला परिवर्तन चाल है। उदाहरण के लिए, अरस्तू का कहना है कि २:१ अनुपात और सामान्यतः संख्या, सप्तक का आकारिक कारण है।
- निमित्त या अभिकर्ता (Efficient या agent)
- किसी परिवर्तन या चाल का निमित्त या गतिशील कारण। इसमें बदली या स्थानांतरित की जा रही चीज़ के अलावा दूसरी चीज़ें शामिल होती हैं, जो परिवर्तन या गति की एजेंसी (अभिकरण) बनने के लिए परस्पर अंतःक्रिया करती हैं। उदाहरण के लिए, एक मेज का निमित्त कारण एक बढ़ई है, या एक बढ़ई के रूप में काम करने वाला व्यक्ति है, और अरस्तू के अनुसार एक बच्चे का निमित्त कारण माता-पिता हैं।
- अंतिम, लक्ष्य या प्रयोजन मूलक (Final, purpose)
- किसी परिवर्तन या स्थानांतरण का अंतिम कारण। यह किसी चीज़ को वैसा ही ,जैसा वह है, बनाने के लिए किया गया परिवर्तन, बदलाव या चाल या गति है । एक बीज के लिए, यह एक वयस्क पौधा हो सकता है; एक सेलबोट के लिए, यह नौकायन हो सकता है; रैंप के शीर्ष पर एक गेंद के लिए, यह नीचे आकर रूक जाने के लिए हो सकता है।
चार "कारण" परस्पर अपवर्जक नहीं हैं।
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- ↑ Aristotle, Physics 194 b17–20; see also Posterior Analytics 71 b9–11; 94 a20.
- ↑ अ आ इ Falcon, Andrea। (2019)। "Aristotle on Causality: 2. The Four Causes". Stanford Encyclopedia of Philosophy (Spring 2019)। Metaphysics Research Lab, Stanford University। “... for a full range of cases, an explanation which fails to invoke all four causes is no explanation at all.”
- ↑ Lindberg, David. 1992. The Beginnings of Western Science. p. 53.
- ↑ अ आ Leroi 2015, पृ॰प॰ 91–92.
- ↑ Aristotle. Metaphysics V, (Aristotle in 23 Volumes, vols. 17–18), translated by H. Tredennick (1933/1989). London, William Heinemann Ltd. 1989 – via Perseus Project. § 1013a. Aristotle discusses the four "causes" in his Physics, Book B, ch. 3.