शेष
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]शेष ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह जो कुछ भाग निकल जाने पर रह गया हो । बची हुई वस्तु । वाकी ।
२. वह शब्द जो किसी वाक्य का अर्थ करने के लिये ऊपर से लगाया जाय । अध्याहार ।
३. बड़ी संख्या में से छोटी संख्या घटाने से बची हुई संख्या । बाकी ।
४. समाप्ति । अंत । खातमा ।
५. परिणाम । फल ।
६. स्मारक वस्तु । यादगार की चीज ।
७. मरण । नाश ।
८. पुराणानुसार सहस्त्र फनों के सर्पराज जो पाताल में हैं और जिनके फनों पर पृथ्वी ठहरी है । विशेष—ये 'अनंत' कहे गए हैं और विष्णु भगवान् क्षीर सागर में इन्हीं के ऊपर शयन करते हैं । विष्णुपुराण में शेष, वासुकि और तक्षक तीनों कद्रु के पुत्र माने गए हैं । पाताल के राजा कहीं वासुकी कहे गए हैं और कहीं शेष । कुछ पुराणों के अनुसार गर्ग ऋषि ने ज्योतिष विद्या इन्हीं से पाई थी । लक्ष्मण और बलराम शेष के अवतार कहे गए हैं ।
९. लक्ष्मण । उ॰—सोहत शेष सहित रामचंद्र कुश लव जीति कै समर सिंधु साँचेहु सुधारचो है ।—केशव (शब्द॰) ।
१०. बलराम ।
११. एक प्रजापति का नाम ।
१२. दिग्गजों में से एक ।
१३. अनन । परमेश्वर ।
१४. पिंगल में टगण के पाँचवें भेद का नाम ।
१५. छप्पय छंद के पचीसवें भेद का नाम जिसमें ४६ गुरु, ६० लघु, कुल १०६ वर्ण या १५२ मात्राएँ होती हैं ।
१६. हनन । घातन । वध (को॰) ।
१७. प्रसाद (को॰) ।
१८. हाथी ।
१९. जमालगोटा ।
शेष ^२ वि॰
१. जो कुछ भाग निकल जाने पर रह गया हो । बचा हुआ । बाकी । उ॰—यह जीवन का निमेष था, पर आगे यह काल शेष था ।—साकेत, पृ॰ ३४९ ।
२. अंत को पहुँचा हुआ । समाप्त । खतम । जैसे,—कार्य शेष होना । उ॰—(क) बातैं करत शेष निशि आई ऊधो गए असनान ।—सूर (शब्द॰) । (ख) कर स्नान शेष, उन्मुक्त केश, सासु जो रहस्य स्मित सुवेश, आईं करने को बातचीत ।—अनामिका, पृ॰ १२५ ।
३. अतिरिक्त । और दूसरे ।