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सूडान: बमबारी में WFP के तीन कर्मचारियों की मौत, यूएन प्रमुख ने जताया क्षोभ | यूएन समाचार
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सूडान: बमबारी में WFP के तीन कर्मचारियों की मौत, यूएन प्रमुख ने जताया क्षोभ

सूडान के अल फ़शर में स्थित एक अस्पताल को गोलाबारी में नुक़सान पहुँचा है. (फ़ाइल)
© Al-Saudi Maternity Hospital
सूडान के अल फ़शर में स्थित एक अस्पताल को गोलाबारी में नुक़सान पहुँचा है. (फ़ाइल)

सूडान: बमबारी में WFP के तीन कर्मचारियों की मौत, यूएन प्रमुख ने जताया क्षोभ

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सूडान के याबुस कार्यालय में हवाई बमबारी में विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के तीन कर्मचारियों के मारे जाने पर गहरा क्षोभ व्यक्त करते हुए, शोक की इस घड़ी में मृतकों के परिजन और WFP के साथ एकजुटता व्यक्त की है. इस बीच, यूएन एजेंसियों ने चेतावनी जारी की है कि नॉर्थ दारफ़ूर की राजधानी अल फ़शर के इर्दगिर्द हो रही भीषण लड़ाई और दक्षिण सूडान के साथ लगी सीमा पर शरणार्थी संकट गम्भीर रूप धारण करता जा रहा है.

यह घटना 19 दिसम्बर को तब हुई जब सूडान के ब्लू नाइल प्रान्त में स्थित याबुस का फ़ील्ड कार्यालय, हवाई बमबारी की चपेट में आ गया.

इस घटना में कार्यालय प्रमुख, कार्यक्रम सहायक और सुरक्षा गार्ड की जान गई है, जो भूख संकट से जूझ रहे देश में अग्रिम मोर्चे पर ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने में जुटे थे.

यूएन महासचिव ने मृतकों के परिजन और यूएन खाद्य एजेंसी के उनके सहकर्मियों के प्रति अपनी गहरी सम्वेदना व्यक्त की है.

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विश्व खाद्य कार्यक्रम की कार्यकारी निदेशक सिंडी मैक्केन ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि यह घटना किन परिस्थितियों में हुई. उन्होंने इस मामले की एक विस्तृत जाँच कराए जाने और दोषियों की जवाबदेही तय किए जाने की मांग की है.

WFP प्रमुख के अनुसार, ब्लू नाइल प्रान्त समेत सूडान में मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए उनका संगठन प्रतिबद्ध है, और सभी स्थानों पर ज़रूरतमन्दों के लिए भोजन व पोषण सहायता जारी रहेगी.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों, मानवीय सहायताकर्मियों व प्रतिष्ठानों पर किए जाने वाले सभी हमलों की निन्दा करते हुए, इस मामले की विस्तृत जाँच की मांग की है.

पिछले वर्ष अप्रैल महीने से, सूडान परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच हिंसक टकराव की आँच में झुलस रहा है. देश की क़रीब एक चौथाई आबादी, 1.2 करोड़ से अधिक लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं, जिनमें से 32 लाख लोगों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है.

अनेक शहरों में घनी आबादी वाले इलाक़ों में भीषण लड़ाई जारी है, जिसमें बड़ी संख्या में आम नागरिक हताहत हुए हैं, और लड़ाई में स्वास्थ्य केन्द्रों, स्कूलों समेत अन्य बुनियादी प्रतिष्ठानों को नुक़सान पहुँचा है.

हैज़ा समेत अन्य जानलेवा बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और लाखों लोग गम्भीर भूख व कुपोषण का सामना कर रहे हैं.

जानलेवा साल

महासचिव गुटेरेश के अनुसार, गुरूवार को हुई घटना ध्यान दिलाती है कि सूडान में बर्बर टकराव का लाखों ज़रूरतमन्दों और उन तक मदद पहुँचाने के लि प्रयासरत सहायताकर्मियों पर कितना गहरा असर हुआ है.

यूएन प्रमुख के अनुसार, सूडान में मानवीय राहतकर्मियों के लिए वर्ष 2024 अब तक का सर्वाधिक जानलेवा साल साबित हुआ है. पिछले महीने ही, यूएन मानवतावादी कार्यालय के एक कर्मचारी ऐल फ़शर में मारा गया था.

इसके बावजूद, अपनी सुरक्षा पर मंडराते ख़तरों के बावजूद, यूएन सहायताकर्मी स्थानीय आबादी तक मदद पहुँचाने की हरसम्भव कोशिश कर रहे हैं.

सूडान में पिछले 20 महीनों से जारी हिंसक टकराव के मद्देनज़र, यूएन प्रमुख ने एक बार फिर युद्धविराम पर सहमति बनाए जाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रयासों के लिए संयुक्त राष्ट्र का समर्थन जारी रहेगा और युद्ध का अन्त करने के लिए सभी पक्षों के साथ मिलकर प्रयास किए जाएंगे.

उन्होंने सभी पक्षों से मानवीय सहायताकर्मियों समेत आम नागरिकों की रक्षा का दायित्व निभाने की अपील की है और सचेत किया है कि मानवतावादी प्रतिष्ठानों व सहायता आपूर्ति को निशाना बनाए जाने से रोकना होगा.

सूडान से विस्थापित लोग, दक्षिण सूडान पहुँचते हुए.
© UNHCR/Ala Kheir
सूडान से विस्थापित लोग, दक्षिण सूडान पहुँचते हुए.

गहराता मानवीय संकट

इस बीच, यूएन एजेंसियों ने चेतावनी जारी की है कि अल फ़शर के इर्दगिर्द इलाक़े में भीषण लड़ाई और दक्षिण सूडान के साथ लगी सीमा पर शरणार्थी संकट गम्भीर रूप धारण करता जा रहा है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने सूडान के नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त की राजधानी अल फ़शर में विनाशकारी मानवीय हालात उपजे हैं.

अर्द्धसैनिक बल (RSF) के लड़ाकों ने पिछले सात महीनों से इस शहर की घेराबन्दी की हुई है, जोकि सूडान के सशस्त्र बलों के साथ टकराव में है. रिहायशी इलाक़ों में विस्फोटक हथियारों के इस्तेमाल के बीच हज़ारों आम नागरिक फँसे हुए हैं, कम से कम 782 की जान जा चुकी है और एक हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.

इस रिपोर्ट को अक्टूबर व नवम्बर में अल फ़शर से जान बचाकर भागने वाले व्यक्तियों के साथ बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, अस्पतालों, आन्तरिक विस्थापितों के लिए बनाए गए शिविरों समेत बुनियादी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है, यौन हिंसा मामलों को अंजाम दिया गया है और आने वाले दिनों में हालत और गम्भीर हो सकते हैं.









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