मरुस्थलीकरण से निपटने में जुटे 'भूमि नायक', सिद्धेश साकोरे
दुनिया भर में तीन अरब लोग भूमि की ख़राब गुणवत्ता, बंजर होती ज़मीन जैसी समस्याओं और उसके प्रभावों से जूझ रहे हैं. मरुस्थलीकरण, सूखा पड़ने और भूमि क्षरण का ख़तरा निरन्तर बढ़ता जा रहा है, जिसका खाद्य सुरक्षा और लोगों की आजीविकाओं पर गहरा असर हो सकता है.
मरूस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिए सऊदी अरब की राजधानी रियाद में दिसम्बर में (2024) संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन आयोजित किया गया. इसी सिलसिले में, यूएन ने विश्व भर से 35 वर्ष से कम आयु के 10 भूमि नायकों का चयन किया है, जो अपने समुदायों में भूमि की बेहतर देखभाल के लिए समाधान तलाश कर रहे हैं.
इनमें भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के केन्दूर गाँव के किसान और ऐग्रो रेंजर्स नामक संस्था के प्रमुख सिद्धेश साकोरे भी हैं जो भूमि की गुणवत्ता में आ रही गिरावट को रोकने के लिए प्रयासों में जुटे हैं.
रियाद में यूएन न्यूज़ के हमारे सहयोगी डैनियल डिकिन्सन ने सिद्धेश साकोरे से बात की, और सबसे पहले उनकी संस्था, उनके काम के बारे में पूछा...
दुनिया भर में तीन अरब लोग भूमि की ख़राब गुणवत्ता, बंजर होती ज़मीन जैसी समस्याओं और उसके प्रभावों से जूझ रहे हैं. मरुस्थलीकरण, सूखा पड़ने और भूमि क्षरण का ख़तरा निरन्तर बढ़ता जा रहा है, जिसका खाद्य सुरक्षा और लोगों की आजीविकाओं पर गहरा असर हो सकता है.
मरूस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिए सऊदी अरब की राजधानी रियाद में दिसम्बर में (2024) संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन आयोजित किया गया. इसी सिलसिले में, यूएन ने विश्व भर से 35 वर्ष से कम आयु के 10 भूमि नायकों का चयन किया है, जो अपने समुदायों में भूमि की बेहतर देखभाल के लिए समाधान तलाश कर रहे हैं.
इनमें भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के केन्दूर गाँव के किसान और ऐग्रो रेंजर्स नामक संस्था के प्रमुख सिद्धेश साकोरे भी हैं जो भूमि की गुणवत्ता में आ रही गिरावट को रोकने के लिए प्रयासों में जुटे हैं.
रियाद में यूएन न्यूज़ के हमारे सहयोगी डैनियल डिकिन्सन ने सिद्धेश साकोरे से बात की, और सबसे पहले उनकी संस्था, उनके काम के बारे में पूछा...